दहेज प्रथा क्या है और समाज पर इसके दुष्प्रभाव | Dowry System Essay in Hindi

Dahej pratha par nibandh

आज भी हमारे समाज में बेटियों के विवाह के दौरान दहेज देना होता है। पुराने समय में दहेज प्रथा के अंतर्गत दुल्हन को उनके माता-पिता विवाह के समय सभी प्रकार के आभूषण और दुल्हन के इस्तेमाल के लिए आवश्यक चीजें दिया करते थे। यह सब कुछ बेटी को दूसरे जगह पर व्यवस्थित होने में किसी भी प्रकार की समस्या ना हो इसलिए किया जाता था। यह एक प्रकार से बेटियों के प्रति मां-बाप का कर्तव्य हुआ करता था। मगर समाज में दहेज प्रथा को एक अलग ही रूप प्रदान कर दिया गया और अब बेटियों के साथ-साथ दूल्हे, उसके माता-पिता तथा रिश्तेदारों को भी उपहार और आवश्यक चीजें दी जाती हैं। अब दहेज प्रथा के नाम पर लोग अपने बेटे का विवाह करवाने के लिए बेटियों के परिवार से अच्छी डिमांड करते हैं और दहेज न दिए जाने पर समाज में बेटियों का विवाह भी नहीं हो पाता है और अगर किसी भी प्रकार से हो भी जाता है, तो उन्हें ससुराल में अनेकों प्रकार की प्रताड़ना और समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। आज के इस लेख में हम आप सभी लोगों को दहेज प्रथा क्या है और दहेज प्रथा के ऊपर भारत में क्या कानून है? इस विषय पर विस्तार से जानकारी देंगे।

दहेज प्रथा क्या है | What is Dowry System

जब वर और कन्या पक्ष के बीच में विवाह की बात की जाती है, तो सर्वप्रथम वर पक्ष की तरफ से दहेज की मांग की जाती है। दहेज का तात्पर्य है, कि वर पक्ष की तरफ से कन्या पक्ष के अभिभावकों से किसी चीज की मांग करना।

दहेज में वधू विवाह होने के पश्चात अपने पिता के घर से वर पक्ष से मांगे गए चीजों को लेकर आती है, अब इसमें घर में इस्तेमाल होने वाले सभी समान से लेकर बेड तक और कुछ धनराशि भी ली जाती है। दहेज प्रथा प्राचीन काल के समय से ही चली आ रही है और आजकल दहेज एक प्रकार का बेटियों के विवाह करने के लिए एक सौदा हो गया है।

अगर हम साधारण भाषा में इसे समझें तो यह एक प्रकार से दहेज लोभियों के लिए व्यापार की तरह ही हो गया है। प्राचीन काल में विवाह करने के पश्चात लड़कियां अपने मायके से कुछ जरूरी सामानों के साथ-साथ पालतू जानवर भी लाया करती थी, जैसे कि गाय, भैंस और बैल आदि।

वर्तमान समय में दहेज प्रथा बेटियों के विवाह के लिए कलंक की तरह हो गया है और यह प्रथा गांव से लेकर शहरों तक फैल चुकी है। आज के समय में अगर कोई भी लड़का ऊंचे पद पर नौकरी कर रहा है, तो उसके विवाह के लिए सबसे ज्यादा दहेज की डिमांड वर पक्ष की तरफ से कन्या पक्ष से की जाती है। आज के समय में लड़का नौकरी करे या ना करे, इसकी कोई परवाह नहीं है, बस अपने लड़के के विवाह के लिए कन्या पक्ष से लोग दहेज की अवश्य डिमांड करते हैं।

दहेज प्रणाली के खिलाफ सरकारी कानून क्या है | Law for dowry system in Hindi

दहेज लेन देन करने की प्रणाली भारतीय समाज में सबसे जघन्य सामाजिक प्रणालियों में से एक है। आये दिन दहेज से जुड़े हुए कई सारे मामले सामने आते हैं जैसे कि कन्या भ्रूण हत्या, लड़की को लावारिस छोड़ना, लड़की के परवरिश में वित्तीय समस्याओं से जुड़े विवाद, बहू का समाजिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से शोषण करना आदि कई सारे जहर से जुड़े हुए मुद्दे हमें देखने और सुनने को मिलते हैं। अब इन्हीं मुद्दों को रोकने के लिए और दहेज प्रथा के नाम पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए सरकार ने कुछ आवश्यक कानून बनाए हैं। जो नीचे विस्तार से दिए गए हैं।

दहेज निषेध अधिनियम 1961

समाज से दहेज प्रथा को दूर करने के लिए तथा दहेज़ के लेन-देन रोकने में सुधार लाने के लिए सरकार ने दहेज निषेध निवेदन अधिनियम 1961 का निर्माण किया है। दहेज प्रथा पर निगरानी रखने हेतु सरकार ने इस कानून व्यवस्था का निर्माण किया है और इस कानून के अंतर्गत दहेज लेन-देन की स्थिति में अपराधी को दंड के रूप में कारावास और कुछ जुर्माना भी चुकाना पड़ सकता है। इस कानून व्यवस्था में अपराधी पाए जाने पर अपराधी को कम से कम 5 वर्ष का कारावास और ₹15000 तक का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है और यह जुर्माना दहेज की राशि पर भी निर्धारित किया जा सकता है। दहेज की मांग करना पूर्ण रूप से दंडनीय अपराध है और सरकार अपराधी को सख्त से सख्त सजा भी दे सकती है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में दहेज की मांग करने पर अपराधी को 6 महीनों का भी कारावास हो सकता है और करीब ₹10000 तक का जुर्माना भी चुकाना पड़ सकता है।

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005

बहुत सी लड़कियों को ससुराल में दहेज मांगने के लिए विवश किया जाता है और ससुराल वाले भावनात्मक और शारीरिक रूप से अपनी बहू को केवल दहेज मांगने के लिए प्रताड़ित किया करते हैं। इस तरह के दहेज के लिए हो रहे महिलाओं के ऊपर दुर्व्यवहार को रोकने के लिए और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 का निर्माण किया गया है। शारीरिक, भावनात्मक, मौखिक, आर्थिक और यौन सहित सभी प्रकार के महिलाओं के ऊपर हो रहे केवल दहेज जैसे अत्याचार के लिए इस कानून का निर्माण किया गया है। सभी प्रकार के दुर्व्यवहारों को रोकने के लिए इस कानून में अपराधी को पूरी तरीके से दंडित किया जाएगा और सजा के साथ-साथ अपराधी को आवश्यक जुर्माना भी दंड के रूप में चुकाना पड़ सकता है। महिलाओं के ऊपर हो रहे अलग-अलग अत्याचारों के हिसाब से ही इस कानून में अपराधी के लिए सजा सुनिश्चित की जाएगी।

दहेज प्रथा को खत्म करने के तरीके | Ways to end the dowry system in Hindi

दहेज प्रथा को रोकने के लिए सरकार ने कानून व्यवस्था बनाई है परंतु अभी भी दहेज प्रथा समाज में फैली हुई है और इसका लोग दुरुपयोग भी करते दिखाई देते हैं। दहेज प्रथा को समाज से दूर करने के लिए कुछ समाधान हैं, जो निम्नलिखित बताए गए।

  1. शिक्षा :-

    दहेज प्रथा जैसी ही अनेकों प्रथाएं हैं, जो मानवता के नाम पर पूरे तरीके से कलंक ही है। ऐसी प्रथाओं को बढ़ावा प्रदान करने का सबसे मुख्य कारण शिक्षा का अभाव ही होता है। ऐसे ही प्रथाओं को जड़ से खत्म करने के लिए लोगों को शिक्षित किया जाना चाहिए और समाज में इस प्रथा को पूरे तरीके से अपराध की श्रेणी में गिना जाना चाहिए। कानूनी दृष्टिकोण से अपराध की श्रेणी में गिने जाने से दहेज प्रथा को खत्म नहीं किया जा सकता है अपितु सामाजिक रुप से भी लोगों को दहेज लेन-देन को एक अपराधी ही घोषित करना होगा और दहेज लेन-देन के प्रति लोगों को शिक्षित करना होगा।

  2. महिला सशक्तिकरण :-

    आज के समय में दहेज प्रथा को बढ़ावा देने की बजाय हमें अपनी बेटियों को बेहतर शिक्षा प्रदान करनी चाहिए और उन्हें समाज में एक उच्च स्थान प्राप्त करने में अपना पूरा सहयोग प्रदान करना चाहिए। जब लड़कियां आत्मनिर्भर बनेंगी और खुद के पैरों पर खड़ी होंगी, तब उन्हें किसी के ऊपर आश्रित रहने की आवश्यकता भी नहीं होगी और केवल दहेज प्रथा ही नहीं महिलाओं के प्रति हो रहे अन्य दुर्व्यवहारों पर भी इससे लगाम लग पाएगी। हमें अपनी बेटियों को महिला अधिकार और उनके ऊपर हो रहे दुर्व्यवहार को रोकने के लिए उनका मार्गदर्शन करना चाहिए और समाज में उन्हें एक सम्मान की दृष्टि से कैसे जीना है, यह सभी बातें उन्हें शुरू से ही बतानी चाहिए। जब हमारे देश की महिलाएं सशक्त रहेंगी, तब दहेज प्रथा जैसी समस्याओं को देश से जड़ से खत्म किया जा सकता है और समाज में महिलाओं को एक सामान्य दृष्टि से देखा जा सकता है।

  3. लैंगिक समानता :-

    आज भी हमारे समाज में लड़का-लड़की का भेदभाव रखा जाता है और लड़के को ही सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। मगर दोस्तों आज हमारे देश में महिलाएं भी अपना खूब योगदान दे रही हैं और ऐसा कोई सा क्षेत्र नहीं है, जहां पर महिलाएं अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पा रही हैं। प्राचीन समय से ही महिलाओं के प्रति लोगों का आचरण दयनीय और बेचारी जैसे दृष्टिकोण से गिर चुका है और आज भी लोग महिलाओं को लड़के के मुकाबले दुर्बल समझते हैं। अगर आप बाहर देशों में और बड़े-बड़े शहरों में जाएंगे तो महिलाओं को हरएक क्षेत्र में कार्य करते देखेंगे और आपको लगेगा कि हां अब देश के विकास में महिलाएं भी अपना पूरा सहयोग दे रही हैं।

निष्कर्ष :-

आज के इस लेख में हमने आप सभी लोगों को दहेज प्रथा क्या है और दहेज प्रथा को कैसे रोके एवं दहेज प्रथा पर भारतीय कानून व्यवस्था क्या है? इन सभी पर विस्तार से जानकारी दी है। यदि आपको लेख पसंद आया हो तो इसे आप अपने मित्र जन और परिजन के साथ अवश्य साझा करें, ताकि उन्हें भी इस विषय पर विस्तार से एक स्थान पर जानकारी प्राप्त हो सके और साथ ही में इस लेख से संबंधित यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।

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