बोरियत से कैसे बचें? | How to avoid boredom?

boriyat se kaise bache in hindi

आजकल प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी मुस्किल से जूझ रहा है और उनमें से बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो अकेलेपन की जिन्दगी व्यतीत कर रहे हैं। और वो बोरियत का शिकार हो रहे हैं। बोरियत (Boredom) को स्वयं से दूर रखने का एक उपाय यह है कि आप सफल व आशावादी लोगों की संगति में रहें। क्योंकि किसी ने ठीक कहा है “सफलता भी संक्रामक होती है।”

हम सभी, समय-समय पर अपने कार्य, मित्रों, निकटजन व यहां तक कि अपने जीवन से भी ऊब जाते हैं। बोरियत ऐसी मन: स्थिति है, जब हम आसपास की घटनाओं से तंग आ जाते हैं या यह हमारे खाली बैठने के कारण भी हो सकती है। बोर होने के कारण काम को टालने की प्रवृत्ति, अनिर्णय की भावना व कुछ न कर पाने की भावना को बढ़ावा मिलता है। इससे बचने का एक उपाय यह हो सकता है कि आप स्वयं से कुछ प्रश्न पूछें।

यदि एक सप्ताह तक भी ऐसा किया तो मन: स्थिति का कारण जान लेंगे। यह निम्नलिखित में से एक या सभी हो सकते हैं :-

किसी निश्चित लक्ष्य का अभाव, महत्वपूर्ण कार्य की उपेक्षा या सामाजिक जीवन की अनुपस्थिति से बोरियत हो सकती है। अनुमानत: संसार की केवल 3 प्रतिशत जनसंख्या ही अपने तयशुदा लक्ष्यों तक जा पाती है। हमें भी अपना नाम उन 3 प्रतिशत की सूची में लाना है, जो जानते हैं कि अपने मनवांछित लक्ष्य तक कैसे जाना है।

दिनचर्या से थकान व नीरसता होना स्वाभाविक ही है। हमें जीवन के विविध पहलू चाहिए, ताकि हमारा अस्तित्व आकर्षक व रोचक बना रहे। यदि बोरियत से बचना चाहते हैं तो जीवन में कोई लक्ष्य चुनें। मैं तो यह भी कहूंगा कि अस्तित्व के प्रत्येक दिन के लिए हमारे पास लक्ष्य होना चाहिए। यह बोरियत को मिटाने के लिए आवश्यक है।

मैं तो किए जाने वाले कार्यो की सूची के साथ ही दिन का आरंभ करता हूं, ये काम अगले बारह घंटों में किए जाने वाले होते हैं, इनका दीर्घकालीन लक्ष्यों से कोई संबंध नहीं होता। इस तरह मुझे पहले से अनुमान होता है कि मैं किस तरह की गतिविधि को कितना समय देते हुए, दिन के अंत में कितने लक्ष्य पूरे कर सकूंगा।

यदि आप जानते ही नहीं कि आप क्या पाना चाहते हैं तो आप उसे कभी नहीं पा सकते। समय प्रबंधन के अनुसार जीवन को संगठित करने से मुझे अल्पकालीन व दीर्घकालीन लक्ष्य पूरे करने में मदद मिलती है तथा बोरियत भी नहीं होती। खाली बैठे रहने से ही सारी समस्याएं व बुराई आरंभ होती है।

कई बार कुछ नापसंद काम भी करने पड़ जाते हैं, उन्हें भी पूरे मनोयोग से करें। उस समय हमें यही सोचना चाहिए कि इस नापसंद काम के सकारात्मक परिणाम हमारे लिए कितने लाभदायक हो सकते हैं।

हमें याद रखना चाहिए कि रवैया ही हमारा परिणाम नियत करेगा। समस्याएं तो सभी के जीवन में हैं, देखने वाली बात यह है कि आप उन्हें किस रूप में लेते हैं। उचित मन:स्थिति व प्रवृत्ति वाले व्यक्ति को कोई भी उसका लक्ष्य पाने से रोक नहीं सकता। नकारात्मक व अवसादग्रस्त मानसिक रवैये वाले व्यक्ति की कोई सहायता नहीं कर सकता।

कोई भी काम आसान होने से पहले मुश्किल ही होता है तो हमें निर्भीक भाव से उस कार्य में जुट जाना चाहिए, जिसे हम करना चाहते हैं। सफलता व उपलब्धि की भावना बोरियत के लिए रामबाण औषधि है। सारी कठिनाइयों व असुविधाओं के बावजूद कामों को प्रभावी तरीके से करते हुए नतीजे पाना ही सफलता कहलाती है। बोरियत को स्वयं से दूर रखने का एक उपाय यह है कि आप सफल व आशावादी लोगों की संगति में रहें।

सफलता भी संक्रामक होती है-

हमारे पास इतने अधिक अवसर व रुचियां मौजूद हैं कि बोर होने का कोई बहाना ही नहीं बचता। रूटीन में समय-समय पर बदलाव लाते हुए इस बोरियत से बचने का उपाय करें। दिन के अंत में यह आकलन करें कि आपने उस दिन कितना सार्थक कार्य किया था।

इसके अलावा, अपनी सोचने की प्रक्रिया पर भी ध्यान दें। हमारी जैसी सोच होती है, वैसे ही शब्द और फिर आचरण हो जाता है। हम कल वहीं होंगे, जहां हमारे विचार हमें आज ले जाएंगे। प्रतिदिन कुछ नया व रोचक करें। नीरस लोगों की संगति से दूर रहें। नीरस व प्राणहीन जीवन न जिएं।

एलेक्जेंडर हेमिल्टन के अनुसार-

लोग मुझे जीनियस कहते हैं, किंतु मेरी सारी बुद्धिमता इसी में छिपी है कि मैं हाथ में कोई विषय आते ही गहराई से उसका अध्ययन करता हूं। वह मेरे सामने दिन-रात रहता है। मैं उसका हर प्रकार से जायजा लेता हूं। मस्तिष्क में वही घूमता रहता है। फिर मैं जो प्रयत्न करता हूं, लोग उसे ही मेरी जीनियस का फल कहते हैं, जबकि यह तो मेरे परिश्रम व सोच का फल है।

Related Post

Leave a Reply