आचार्य चाणक्य की जीवनी | Chanakya Biography in Hindi

Acharya Chanakya ki Jivani

प्राचीन भारत के इतिहास की बात करें तो उस समय कई ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने कार्य से अपना व देश का नाम रोशन किया है। आपने अपने स्कूल में चाणक्य की कहानी तो सुनी ही होगी। चाणक्य और मौर्य वंश की कहानियों के बारे में हम सब जानते तो हैं ही। इस लेख में हम आचार्य चाणक्य या कौटिल्य के बारे में बताने जा रहे हैं।

चाणक्य का जीवन परिचय

भारत के सबसे प्राचीन राजवंशों में से एक मौर्य राजवंश के तत्कालीन राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के समय चाणक्य उनके राज्य में मंत्रिमंडल के महामंत्री थे। चाणक्य का जन्म बिहार के एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके शिक्षा की बात करें तो उनकी शिक्षा महान शिक्षा का केंद्र “तक्षशिला” में हुई थी, जो वर्तमान मे पंजाब राज्य मे स्थित है। चाणक्य को हम कौटिल्य के नाम से भी जानते हैं। कौटिल्य का अर्थशास्त्र के बारे में तो आपने सुना ही होगा? उस ग्रंथ की रचना भी चाणक्य द्वारा ही की गई है। अपने जीवन की 26 वर्ष की आयु में ही उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण विषय जैसे “अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, और राजनीति” इत्यादि विषयों में गहन रुचि के साथ गहरी शिक्षा प्राप्त की थी।

उनके बारे में एक कहावत यह भी है की “जब मगध राज्य मे नंद वंश के दरबार में वहां के राजा द्वारा उनका अपमान किया गया तब से चाणक्य ने नंद वंश को मिटाने की प्रतिज्ञा ली, उसके बाद उन्होंने एक खेलते बच्चे को देखा और उसको देखते ही चाणक्य ने उस बच्चे को राजगद्दी पर बैठाने की प्रतिज्ञा की, उस बच्चे को आज हम चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से जानते हैं।” उन्होंने आखिर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और नन्द वंश को नष्ट करने में सफल रहे और मौर्य वंश की स्थापना की।

बिन्दू जानकारी
नाम (Name) चाणक्य
जन्म (Birthday) 350 ईसा पूर्व (अनुमानित स्पष्ट नहीं है)
मृत्यु की तिथि (Death) 275 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र, (आधुनिक पटना में) भारत
शैक्षिक योग्यता (Education) समाजशास्त्र, राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन, आदि का अध्ययन।
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पिता (Father Name) ऋषि कानाक या चैनिन (जैन ग्रंथों के अनुसार)
माता (Mother Name) चनेश्वरी (जैन ग्रंथों के अनुसार)

मौर्य वंश की स्थापना में योगदान

सम्राट अशोक मौर्य को राज्य व राजवंश की स्थापना करने में मदद करने वाले चाणक्य को चंद्रगुप्त ने अपने राज्य में सम्मान भी दिया। जिस समय नंद वंश को खत्म करने की प्रतिज्ञा उन्होंने ली थी उस समय नन्द वंश के राज्य मगध मे गरीबों की दशा काफी दयनीय थी, फिर भी वहां की प्रजा ने उस राजा की रक्षा की और अपने कर्तव्य का पालन किया, परन्तु वो कहते है न कि जो बोयेगा, वही कटेगा। ठीक वैसे ही उसका राज्य छीन लिया गया। मौर्य वंश के इतिहास में चाणक्य की कूटनीति को काफी अहम मानते थे, यही कारण है की चाणक्य को कुटनीति का जनक भी माना जाता है। उसके बाद चाणक्य को मौर्य वंश के राज्य में उन्हे राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने महामंत्री का दर्जा दिया और राज्य की अहम जिम्मेदारी भी दी।

राज्य के 7 सूत्र

चाणक्य स्वयं एक राजनेता व गणितज्ञ भी थे और उन्होंने अपने जीवन मे कई कार्य किए, उन्होंने

राज्य को 4 भागो में विभाजित किया है जो निम्न प्रकार है –

  1. भूमि
  2. जनसंख्या
  3. सरकार
  4. संप्रभुता

वे घटनाएं जिन्होंने चाणक्य का जीवन ही बदल दिया

कहते है जीवन मे कुछ ऐसी घटनाएं होती है जो हमारे जीवन मे कुछ न कुछ परिवर्तन तो करती ही हैं , वैसी ही कुछ घटनाएं चाणक्य के जीवन में भी घटित हुईं। जैसा की आपको पूर्व में ही बता चुके हैं। चाणक्य एक कुशल और महान चरित्र वाले व्यक्ति थे जिन्होंने मौर्य वंश की स्थापना करने में अहम् योगदान दिया है। चाणक्य नेता व गणितज्ञ के साथ-साथ वे एक महान शिक्षक भी थे। उस समय वे अपने उन महान विचारों और नीतियों से काफी लोकप्रिय थे। आज भी लगभग सभी लोग उनके बारे में जानते होंगे । उनकी उन्हीं ख्यातियों की वजह से उनके साथ कुछ घटनाएं हुई जिसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया वे घटनाएं निम्न है –

  • पहली घटना :- जब भारत पर सिकंदर का आक्रमण और तात्कालिक उस समय एक छोटे राज्यों की हार हुई थी।
  • दूसरी घटना :- मगध के शासक द्वारा कौटिल्य का किया गया अपमान जिस वजह से मौर्य वंश की स्थापना हुई।

इस लेख में आपको ऊपर जो भी घटनाएं बताई गई हैं उन दो घटनाएं से चाणक्य के जीवन पर काफी प्रभाव पडा एवं उनकी वजह से कौटिल्य ने उस समय इस देश की एकता और अखंडता की रक्षा करने का संकल्प लिया था, उसके बाद उन्होनें शिक्षक बनकर बच्चों के पढ़ाने के बजाय उस समय में तत्कालीन देश के शासकों को शिक्षित करने और उचित नीतियों को सिखाने का फैसला लिया और वे अपने दृढ़ संकल्प के साथ घर से निकल पड़े, जिसके बाद ही दूनिया में मौर्य वंश का सूर्योदय हुआ।

चाणक्य के लिए सम्मान

चाणक्य को हम विलक्षण प्रतिभा से धनी के रूप में जानते हैं। आपको बता दें कि नई दिल्ली में चाणक्य के सम्मान में चाणक्यपुरी नामक जगह की स्थापना की जिसका नाम “राजनयिक एन्क्लेव” था, बाद में इसका नाम बदलकर उसे चाणक्य के नाम पर चाणक्यपुरी रखा गया। इसके अलावा उनके नाम पर आज कई कॉलेज भी देश में चल रहे हैं।

चाणक्य की मौत पर इतिहास

चाणक्य की मौत कब व कैसे हुई इस बात का इतिहास में सही पता नहीं चलता है, इसके संदर्भ में इतिहासकारों में मध्य अभी भी मतभेद हैं। परन्तु एक कथा के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिंदुसार और उनके पुत्र सम्राट अशोक थे, जिन्होंने कलिंग युद्ध के बाद, युद्ध के बारे में सोचना भी बंद कर दिया था। इतिहासकारों की मानें तो महान चाणक्य का जन्म ईसा पूर्व 371 में हुआ था जबकि उनकी मृत्यु उसके बाद ईसा.पूर्व. 283 में हुई थी।

चाणक्य का अर्थशास्त्र

चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ व कूटनीतिज्ञ के साथ-साथ वे एक लेखक भी थे। आचार्य चाणक्य द्वारा “अर्थशास्त्र” नामक पुस्तक लिखी गयी है जो की आज के समय में काफी प्रचलित है। इस पुस्तक के बारे में बात करें तो इस पुस्तक का वर्णन कई जैन ग्रंथों में भी मिलता है।

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