Harivansh Rai Bachchan ki Jivani : आप मे से कितने लोग बॉलीवुड के शहनशाह अमिताभ बच्चन के बारे मे जानते है ? हमारे ख्याल से आप सब उनके बारे मे जानते होंगे। क्या आपको पता है की उनके पिता भी स्वयं एक कवि थे और अपने जीवन मे कविताओं से लोगों के मन को मोह लेते थे। अगर आपको उनके बारे मे नहीं पता तो आप इस लेख को अंत तक पढ़ें ताकि आपको इसके संदर्भ मे पूरी जानकारी प्राप्त हो सके। इस लेख मे आपको ‘‘हरिवंश राय बच्चन’’ के बारे मे बताया जाएगा।
हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय (Harivansh Rai Bachchan Life Story in Hindi)
अमिताभ बच्चन के पिता श्री हरिवंश राय बच्चन का जन्म इलाहाबाद के पास प्रतापगढ़ जिले के एक गाँव बाबूपट्टी मे 27 नवम्बर 1907 हुआ था। आपको बता दे की वह एक लेखक और कवि भी थे। हरिवंश राय बच्चन के पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव था व उनके माता का नाम सरस्वती देवी था। हरिवंश राय बच्चन को बच्चन शब्द की पहचान उनको उनके बचपन से मिली है, उनको बचपन मे ‘‘बच्चन’’ कहा जाता था आपको बता दे की यह उनका बचपन का नाम था न ही उनका सरनाम। बच्चन शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है ‘‘बच्चा’’ या “संतान” जो की एक छोटे बच्चे का सूचक है। बाद मे वे अपने जीवन मे इसी नाम से प्रसिद्ध हुए, यह नाम आज भी उनके वंशजों के नाम के साथ शान से लिया जाता है।
अगर उनकी शिक्षा की बात करे तो उन्होंने ‘‘कायस्थ पाठशाला’’ में पहले उर्दू की शिक्षा ली जो उस समय कानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जाता था, यह डिग्री पूरी होने के बाद उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय जो की उत्तर प्रदेश मे है, से अंग्रेजी में एम. ए. और इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कई सारी कविताओं पर शोध करना शुरू किया और उस विषय मे उन्होंने पीएचडी की शिक्षा पूरी की।
हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई कविताएं
हरिवंश स्वयं एक कवि थे जिसके कारण उन्होंने अपने जीवन मे कई सारी कविताओं की रचना की है। उन कविताओं के बारे मे आपको बताया जा रहा है।
- तेरा हार। (1932)
- मधुशाला। (1935)
- मधुबाला। (1936)
- मधुकलश। (1937)
- निशा निमन्त्रण। (1938)
- एकांत-संगीत। (1939)
- आकुल अंतर। (1943)
- सतरंगिनी। (1945)
- हलाहल। (1946)
- बंगाल का काल। (1946)
- खादी के फूल। (1948)
- सूत की माला। (1948)
- मिलन यामिनी। (1950)
- प्रणय पत्रिका। (1955)
- धार के इधर उधर। (1957)
- आरती और अंगारे। (1958)
- बुद्ध और नाचघर। (1958)
- त्रिभंगिमा। (1961)
- चार खेमे चौंसठ खूंटे। (1962)
- चिड़िया का घर।
- सबसे पहले।
- काला कौआ।
यह वह कविताएं है जिनकी वजह से हम आज श्री हरिवंश राय बच्चन को जानते और पहचानते है।
हरिवंश राय बच्चन की कुछ रचनाएं
हरिवंश राय जैसा की आप जानते है वे एक कवि थे साथ ही उन्होंने साहित्य विषय मे पीएचडी भी की है, आपको बता दे की उनके द्वारा कई रचनाएं की गई है जो की उनके व्यक्तित्व को बताती है। उनके द्वारा लिखी गई शानदार कविताओं के बारे मे आपको आगे बताया जा रहा है।
- युग की उदासी।
- आज मुझसे बोल बादल।
- क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी।
- साथी सो ना कर कुछ बात।
- तब रोक ना पाया मैं आंसू।
- तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाये।
- आज तुम मेरे लिये हो।
- मनुष्य की मूर्ति।
- हम ऐसे आज़ाद।
- उस पार न जाने क्या होगा।
- रीढ़ की हड्डी।
- हिंया नहीं कोऊ हमार!
- भारत माँ की जय बोलो & एक और जंज़ीर तड़कती है।
- एक शानदार कविता – ‘‘जीवन का दिन बीत चुका था छाई थी जीवन की रात। ’’ यह भी है।
- हो गयी मौन बुलबुले-हिंद।
- गर्म लोहा।
- टूटा हुआ इंसान।
- मौन और शब्द।
- शहीद की माँ।
- क़दम बढ़ाने वाले: कलम चलाने वाले।
- एक नया अनुभव।
- दो पीढियाँ।
- क्यों जीता हूँ।
- कौन मिलनातुर नहीं है?
- रात पर दीवा जलाना कब मना है? है अँधेरी
- ‘‘तीर पर कैसे रुकूँ मैं आज लहरों में निमंत्रण’’ एक और शानदार कविता
- क्यों पैदा किया था?
हरिवंश राय बच्चन का कार्यक्षेत्र
1955 मे वे इंग्लैंड से वापस भारत देश मे आ गये और यहां आने के बाद उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो मे कार्य करना शुरू किया। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय मे अंग्रेजी पढ़ाने के लिए कविताएं भी लिखी, इतना ही नहीं उन्होंने देश के कार्यक्षेत्र मे हिन्दी को बढ़ाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भी कविता के माध्यम से बताया । उसके बाद वे उस समय दिल्ली चले गये जहाँ पर उन्होंने भारत सरकार के अंदर विदेश मंत्रालय मे हिन्दी विशेषज्ञ के रूप मे भी कार्य किया। हरिवंश राय बच्चन भारत के विदेश मंत्रालय से 10 सालों तक जुड़े रहे जहां उन्होंने हिन्दी विशेषज्ञ के पद पर कार्य किया। जैसा की आप अब जान चुके होंगे की हरिवंश राय बच्चन लिखने के शौकीन थे और उन्होंने उस समय एक फारसी कवि ‘‘उमर खय्याम’’ की कविताओं का हिन्दी मे अनुवाद किया और लोगों तक उनकी कविताओं को पहुंचाया। हरिवंश राय बच्चन की छवि युवाओं मे काफी मशहूर थी उन्होंने कई कविताओं की रचनाएं की जैसे ‘‘मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश” इत्यादि कृति इसमे शामिल है’’
हरिवंश राय बच्चन की कुछ कविताएं
मृदु भावों के अंगूरों की
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से
आज पिलाऊँगा प्याला;
पहले भोग लगा लूँ तेरा,
फिर प्रसाद जग पाएगा;
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला। । 1।
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर
पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर
नाचूँगा लेकर प्याला;
जीवन की मधुता तो तेरे
ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूंगा मैं
तुझ पर जग की मधुशाला। । 2।
हरिवंश राय बच्चन की उपलब्धियां
- हरिवंश राय बच्चन द्वारा 1968 मे ”दो चट्टानें” नामक एक कविता लिखी थी जिसके लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें ”साहित्य अकादमी” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इस के कुछ समय बाद हरिवंश राय बच्चन को ‘‘सोवियत लैंड नेहरू” पुरस्कार और साथ ही एफ्रो एशियाई सम्मेलन का ”कमल” पुरस्कार से भी हरिवंश राय बच्चन को सम्मानित किया गया था।
- भारत सरकार द्वारा उन्हें 1976 में, उनके हिंदी भाषा के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए ”पद्म भूषण’‘ सम्मान से सम्मानित किया गया।
हरिवंश राय बच्चन एक जाने माने कवि व राजनेता भी थे। उनके बारे मे आपको बताया गया है। हरिवंश राय बच्चन स्वयं एक शानदार कवि थे, उनकी कविताओं के लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है।