प्राणायाम क्या है? इसके प्रकार और फायदे | Types and Benefits of Pranayama in Hindi

Types of Pranayama in Hindi

दोस्तों, जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि पहले जैसा शुद्ध वातावरण अब नहीं रहा है और हर तरफ बीमारियां एवं रोग लोगों को घेरते हुए नजर आ रहे हैं। आजकल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भी मनुष्य को अपने दैनिक दिनचर्या में कुछ आवश्यक गतिविधियां करनी चाहिए। आवश्यक गतिविधियों में आप प्रातः जल्दी उठने, योग करने, प्राणायाम करने और दौड़ने के साथ-साथ कुछ घरेलू कार्य भी कर सकते हैं। यदि आप शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं और दवाइयों के पीछे पैसे बर्बाद नहीं करना चाहते हैं, तो आपको अपने दैनिक जीवन में प्राणायाम को मुख्य स्थान देना चाहिए। आज के इस स्वास्थ्य वर्धक लेख में हम आप सभी लोगों को प्राणायाम क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं? एवं प्राणायाम करने के क्याक्या फायदे हो सकते हैं? इन सभी महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से जानकारी देने वाले हैं।

Contents hide

प्राणायाम क्या है (What is Pranayama in Hindi)

प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है “प्राण” एवं “आयाम”। इन दोनों शब्दों का शाब्दिक अर्थ प्राण ऊर्जा यानी कि जीवन को शक्ति प्रदान करने वाली ऊर्जा है। प्राणायाम को जीवन में अपनाने से मनुष्य को लंबी आयु प्राप्त होती है और प्राणायाम मनुष्य को लंबी आयु प्रदान करने का साधन भी कहा जाता है। प्राणायाम सांसों को नियंत्रित करने का एक साधन है और यह तीन प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है, “कुंभक”, “रेचक” और “पूरक”। यह सामान्य प्रक्रिया को हम अपने संपूर्ण जीवन काल में दोहराते हैं, कहने का तात्पर्य है कि जब तक हम जीवित रहते हैं, सांस लेते हैं, तो “पूरक” कहलाता है और सांस छोड़ते हैं, तो “रेचक” कहलाता है। जब हम कुछ समय के लिए अपने सांसो को रोकते हैं, तब यह प्रक्रिया “कुंभक” प्रक्रिया के अंतर्गत आ जाती है।

प्राणायाम के मुख्य प्रकार कौनकौन से हैं? (Types of Pranayama in Hindi)

प्राणायाम मनुष्य के आवश्यकता के अनुसार कई प्रकार के होते हैं और कुछ मुख्य प्राणायाम निम्नलिखित है।

  1. नाड़ी शोधन प्राणायाम
  2. शीतली प्राणायाम
  3. उज्जाई प्राणायाम
  4. डिग्र प्राणायाम
  5. कपालभाति प्राणायाम
  6. ब्राह्म प्राणायाम
  7. उद्रित प्राणायाम
  8. भस्त्रिका प्राणायाम
  9. भ्रामरी प्राणायाम
  10. अनुलोम विलोम प्राणायाम
  11. अग्निसार क्रिया
  12. सूर्यभेदन प्राणायाम
  13. चंद्रभेदी प्राणायाम
  14. शीतकारी प्राणायाम

प्राणायाम करने के नियम

प्राणायाम अपने जीवन में अपनाने से पहले हमें इसके नियम और कायदे के बारे में सबसे पहले जानकारी हासिल करनी चाहिए और अगर आप इसके नियम कायदे के बिना ही इसे करना शुरू कर देंगे तो यह कहीं ना कहीं आपके लिए हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है। चलिए अब आगे हम लोग प्रणायाम करने के सही नियमों के बारे में विस्तार से जानते और समझते हैं।

प्राणायाम कहां करते हैं या फिर प्राणायाम करने का सही स्थान क्या है?

प्राणायाम को हमें शांत वातावरण में और ऑक्सीजन युक्त वातावरण में करना चाहिए। ताजी-ताजी हवा आपके शरीर को स्वस्थ रखेगी और शांत माहौल आपको ध्यान लगाने में सहायता देगा। अगर आप किसी कमरे में प्राणायाम कर रहे हैं, तो प्राणायाम करते वक्त सारे खिड़की और दरवाजे खोल दें, क्योंकि अगर प्राणायाम करते वक्त आपको ताजी हवा नहीं मिलेगी, तो आपको इस दौरान चक्कर भी आ सकता है।

प्राणायाम करने के लिए हमें किस प्रकार से बैठना चाहिए?

फर्श पर चटाई या फिर योगा मैट बिछाकर आपको प्रणाम करने के लिए ध्यान लगाने हेतु कुछ आसन में बैठना होगा जैसे कि पद्मासन, सुखासन, सिद्धासन या वज्रासन। अगर आपको जमीन में बैठने में किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो आप कुर्सी पर भी बैठ कर इसे कर सकते हैं।

प्राणायाम करते वक्त आंखे खुली रहनी चाहिए या बंद?

प्राणायाम करते वक्त हमें अपनी आंखों को बंद रखना चाहिए और हो सके तो अपनी दृष्टि को नाक की ओर पर केंद्रित करें और फिर आंखें बंद करें। अगर आपको नाक की नोक पर दृष्टि को केंद्रित करने में किसी भी प्रकार की समस्या होती है, तो आप ऐसा ना करें आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे कर सकते हैं।

प्राणायाम करते वक्त मस्तिष्क की क्या मानसिकता होनी चाहिए?

प्राणायाम करते वक्त हमें अपने मस्तिष्क को शांत रखना चाहिए और एक स्थान पर स्थिर रखना चाहिए। आप को एकदम अपने मस्तिष्क को रिलैक्स रखना है और अपने मन में किसी भी प्रकार का अतिरिक्त खयाल या कोई सोच नहीं रखनी है। इस परिस्थिति में आपको सभी चिंताओं से मुक्त होना है और मस्तिष्क को एकाग्र करना है। अगर आप किसी दिन अत्यधिक चिंता में हो या फिर आपको बहुत जल्दी हो तो आप उस दिन प्राणायाम को ना करें आप जब भी प्राणायाम करें अपने मस्तिष्क को रिलैक्स करके और चिंता मुक्त होकर ही इसे करें।

प्राणायाम करने की एक सही अवधि क्या होनी चाहिए?

अगर आप शुरुआती समय प्राणायाम करना शुरू कर रहे हैं, तो आपको इसे शुरुआती समय में कम से कम 2 मिनट तक ही करना चाहिए और फिर धीरे-धीरे अपने इस समय को अपने सुविधा अनुसार बढ़ाना चाहिए।

क्या प्राणायाम को नियमित रूप से करना चाहिए?

वैसे तो प्राणायाम को नियमित रूप से करने से आपका शरीर सदैव स्वस्थ रहता है और आपको किसी भी प्रकार की जटिल स्वास्थ्य संबंधित परेशानी नहीं होती है। अगर आपका मन किसी दिन अशांत हो और आप की तबीयत ठीक ना हो तो इस परिस्थिति में आप प्राणायाम को ना करें जब आप खुद को बेहतर महसूस करें तभी आप प्राणायाम को करें।

प्राणायाम करने का सही तरीका और विधि क्या है?

प्राणायाम नियमित रूप से करने से पहले हमें इसे करने का सही तरीका पता होना चाहिए और बिना सही तरीके के प्राणायाम करने पर हमें इसका नकारात्मक परिणाम मिलेगा। चलिए अब आगे जानते हैं, कि प्राणायाम करने का सही तरीका क्या है?

  • प्राणायाम करने के दौरान चुपचाप सबसे पहले 1 मिनट तक शांत होकर बैठे। 1 मिनट के दौरान में आप सोचे कि आप अपने भीतर की अशुद्धियों को स्वास बाहर निकालते समय बाहर कर रहे हैं और सांस लेने के दौरान आप अपने अंदर ताकत, सकारात्मक सोच और ऊर्जा को समाहित कर रहे हैं। प्राणायाम करते समय अपने मस्तिष्क में सकारात्मक चीजों का विचार करना चाहिए और ध्यान एकत्रित करना चाहिए।
  • प्राणायाम करने के दौरान आंख बंद करें और दृष्टि को अपनी नाक पर केंद्रित करने की कोशिश करें एवं पीठ को सीधे करें और दिमाग को पूरी तरीके से शांत रखें।
  • प्राणायाम करने के दौरान गहरी सांस लें और बहुत धीमी गति से, कोई भी जल्दबाजी का काम यहां पर आपको नहीं करना है। सांस छोड़ने और सांस लेने की गति एक समान आपको रखनी है और ध्यान रहे कि सांस छोड़ते समय सोचे कि आपके शरीर और दिमाग के सभी दोष बाहर निकल रहे हैं।
  • प्राणायाम के दौरान सांस लेते समय सोचे कि आपका मन पूरी तरीके से शांत है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह हो रहा है और प्राण वायु को आप अपने भीतर समाहित कर रहे हैं।
  • आप अपनी सुविधा और समय के अनुसार प्रतिदिन 10 से 20 बार प्राणायाम की विधि को दोहराएं।

प्राणायाम करने के दौरान किन-किन सावधानियों पर ध्यान देना चाहिए?

अगर हम प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में अपनाते हैं, तो हमें इसे करने के दौरान कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। बिना सावधानी के प्राणायाम की विधि को ना करें अन्यथा आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है।

  • यदि प्राणायाम करने के दौरान आपको चक्कर आने लगे, सांस लेने में कठिनाई होने लगे, अत्यधिक पसीना आने लगे या फिर अचेत होने के लक्षण आपको महसूस होने लगे तो आपको तुरंत ही प्राणायाम करना बंद कर देना है। एवं इस परिस्थिति में आपको खुली हवा में बैठ जाना है और सामान्य रूप से सांस लेना है और ध्यान रहे आपको फिर दोबारा से इसे शुरू नहीं करना है।
  • गर्भवती महिला या फिर 12 वर्ष के कम उम्र के बच्चों को प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • अस्थमा या फिर अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं वाले रोगियों को प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • दिल की बीमारी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने पर प्राणायाम नहीं करना चाहिए, ऐसे रोगियों के लिए उपयुक्त नहीं है।
  • एक प्रशिक्षित और अनुभवी योग गुरु के निरीक्षण में ही प्राणायाम को शुरू करना चाहिए।

प्राणायाम करने के क्याक्या लाभ हो सकते हैं? (Benefits of Pranayama in Hindi)

प्राणायाम करने पर शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से शरीर को लड़ने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है तथा व्यक्ति को दीर्घायु भी प्राप्त होती है। प्राणायाम करने के अपने बहुत सारे फायदे हैं जो निम्नलिखित हैं।

  • प्राणायाम करने पर व्यक्ति अनेक शारीरिक बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखता है और उसका शरीर सदैव निरोगी रहता है।
  • निरंतर रूप से प्राणायाम करने पर चेहरे पर निखार आता है और आप के चेहरे पर एक अलग ही प्रकार की कांति देखने को मिलती है।
  • प्राणायाम का अभ्यास करने पर शरीर में असमय आई हुई झुर्रियां खत्म होने लगती है और आपकी त्वचा कांतिमय लगने लगती है।
  • अगर अस्थमा के रोगी इसे थोड़े-थोड़े समय के लिए करें, तो कुछ समय में आपको अस्थमा जैसी बीमारी से राहत भी मिल सकती है। पर ध्यान रहे ऐसी रोगियों को योग विशेषज्ञ और चिकित्सक के परामर्श से ही प्राणायाम करना चाहिए।
  • प्राणायाम करने पर व्यक्ति का मस्तिष्क एकाग्र होता है और स्मरण शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है।
    अगर आपके शरीर में किसी भी नाड़ी का प्रवाह बंद हो गया है, तो प्राणायाम करने पर ऐसी परिस्थिति से शरीर को मुक्ति दिलाया जा सकता है।
  • प्राणायाम करने पर अवसाद, माइग्रेन जैसी बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है।
  • नियमित रूप से प्राणायाम करने पर शरीर में प्राण शक्ति का संचार होता है।
  • प्राणायाम करने पर आयु लंबी होती है।
  • प्राणायाम मन को स्पष्टता और शरीर को श्रेष्ठता प्रदान करता है।

निष्कर्ष :-

आज के इस लेख में हमने आप सभी को प्राणायाम क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं? तथा प्राणायाम करने के क्या-क्या फायदे होते हैं? इस विषय पर विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि आप सभी लोगों को आज का हमारा यह स्वास्थ्य वर्धक लेख अवश्य लाभकारी लगा होगा और यदि हां तो आप इसे अपने मित्र जनों के साथ अवश्य साझा करें। आज के इस लेख को आप अपने सुझाव और विचारों द्वारा और भी अधिक लाभकारी बना सकते हैं।

Related Post

Leave a Reply