Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina

Sheikh Hasina: A Visionary Leader of Bangladesh

शेख हसीना बांग्लादेश की प्रमुख राजनेता और चार बार प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। वह बांग्लादेश अवामी लीग की नेता हैं और उनके नेतृत्व में देश ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। वह बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं, जिन्होंने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को गोपालगंज जिले, बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे। उनकी माता शेख फज़ीलातुन्नेसा थीं।

शेख हसीना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आजिमपुर गर्ल्स स्कूल, ढाका से प्राप्त की और बाद में ढाका विश्वविद्यालय से स्नातक (BA) किया। छात्र जीवन में ही वह सामाजिक कार्यों में सक्रिय थीं और अपने पिता के आदर्शों से प्रभावित होकर राजनीति में रुचि रखने लगीं।

1975 की त्रासदी और निर्वासन

15 अगस्त 1975 को एक सैन्य विद्रोह में शेख हसीना के पूरे परिवार की हत्या कर दी गई। उनके माता-पिता, भाई और रिश्तेदार मारे गए। इस समय शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना जर्मनी में थीं, जिससे उनकी जान बच गई। इसके बाद, वह भारत में निर्वासन में रहीं। भारत में रहते हुए उन्होंने राजनीतिक रूप से खुद को मजबूत किया और अपने पिता के विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

1981 में, बांग्लादेश अवामी लीग ने शेख हसीना को पार्टी की अध्यक्ष चुना। इसके बाद, वह बांग्लादेश लौटीं और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगीं।

1996: पहली बार प्रधानमंत्री

शेख हसीना पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनीं। उनके इस कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियां थीं:

  • गंगा जल संधि – भारत के साथ नदी जल बंटवारे का समझौता।
  • चित्तगोंग हिल ट्रैक्ट्स शांति संधि – बांग्लादेश में उग्रवाद समाप्त करने का प्रयास।
  • ग्रामीण विकास और आर्थिक सुधार।

2001 के चुनावों में हार के बाद, वह विपक्ष में बैठीं, लेकिन राजनीति में सक्रिय रहीं।

2009 से 2024 तक प्रधानमंत्री

2009 में हुए आम चुनावों में शेख हसीना ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और वह दोबारा प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद, 2014 और 2018 के चुनावों में भी उनकी पार्टी की जीत हुई। उनके इस लंबे कार्यकाल में बांग्लादेश ने कई क्षेत्रों में प्रगति की, लेकिन कुछ विवाद भी उभरे।

2024 का जनविद्रोह और निर्वासन

2024 में, बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। यह आंदोलन धीरे-धीरे उग्र रूप लेता गया, जिससे देश में अस्थिरता फैल गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास गोनो भवन पर धावा बोला, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। इस बढ़ते दबाव के बीच, शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। उन्होंने भारत में शरण ली।

व्यक्तिगत जीवन

शेख हसीना की शादी डॉ. एम. ए. वाजिद मियां से हुई थी, जो एक परमाणु वैज्ञानिक थे। उनके दो बच्चे हैं:

  1. सजीब वाजेद जॉय – सूचना और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कार्यरत हैं।
  2. साइमा वाजेद – एक मनोवैज्ञानिक हैं और ऑटिज़्म जागरूकता पर कार्य करती हैं।

नेट वर्थ और संपत्ति

शेख हसीना की कुल संपत्ति (Net Worth) लगभग 5-10 मिलियन डॉलर आंकी गई है। हालांकि, वह एक सादा जीवन जीने के लिए जानी जाती हैं और उनकी प्रमुख संपत्ति सरकारी सेवाओं और आवास तक सीमित है।

पुरस्कार और सम्मान

शेख हसीना को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया है:

  • यूनेस्को पीस प्राइज
  • चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड (United Nations)
  • इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार
  • डिजिटल चैंपियन अवार्ड

चुनौतियाँ और आलोचनाएँ

  • राजनीतिक दमन: विरोधी दलों पर सख्त कार्रवाई के आरोप।
  • मीडिया पर नियंत्रण: प्रेस स्वतंत्रता को सीमित करने की आलोचना।
  • मानवाधिकार हनन: विपक्षी दलों और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई।

निष्कर्ष

शेख हसीना बांग्लादेश की सबसे प्रभावशाली नेता रही हैं। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश ने आर्थिक और सामाजिक रूप से बड़ी प्रगति की है। हालांकि, उनके शासन पर कुछ विवाद भी रहे हैं, लेकिन उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। वर्तमान में, वह निर्वासन में हैं, और बांग्लादेश एक नए राजनीतिक दौर से गुजर रहा है।

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