Biography of Chaudhary Charan Singh in Hindi - Kisan Diwas

चौधरी चरण सिंह की जीवनी | Chaudhary Charan Singh Biography in Hindi

चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति के उन महान नेताओं में से एक हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों और कृषि के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। वे न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक प्रखर विचारक और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए और अपनी नीतियों से उन्हें सशक्त बनाया। उनकी जीवनी प्रेरणा से भरपूर है, खासकर उन लोगों के लिए जो समाज की बेहतरी के लिए कार्य करना चाहते हैं और ग्रामीण भारत के विकास में अपना योगदान देना चाहते हैं।

प्रारंभिक जीवन

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव (जो अब हापुड़ जिले में है) में एक किसान परिवार में हुआ। उनका परिवार साधारण था और कृषि पर निर्भर था। उनके पिता चौधरी मीर सिंह और माता ने उनके जीवन में सादगी और ईमानदारी के संस्कार डाले। उनके बचपन से ही उनमें मेहनत, अनुशासन और सेवा भाव के गुण विकसित हुए। चरण सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की और आगे की शिक्षा मेरठ और आगरा में पूरी की। उन्होंने 1926 में आगरा विश्वविद्यालय से कानून (एलएलबी) की पढ़ाई पूरी की और वकालत के पेशे में कदम रखा। अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने किसानों के प्रति अपनी संवेदनशीलता और उनके लिए न्याय दिलाने की इच्छा प्रकट की।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

चौधरी चरण सिंह महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए। उन्होंने 1929 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सक्रिय रूप से काम किया। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस दौरान जेल भी गए।

स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका केवल राजनीतिक नहीं थी, बल्कि उन्होंने किसानों के अधिकारों और उनकी जमीनों को जमींदारों और ब्रिटिश सरकार से बचाने के लिए भी संघर्ष किया। उनके नेतृत्व में किसानों ने जमींदारों और ब्रिटिश शासन के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनमें किसानों की मांगों को मुख्य रूप से उजागर किया गया।

राजनीतिक जीवन

भारत की स्वतंत्रता के बाद चरण सिंह का मुख्य ध्यान किसानों और कृषि सुधारों पर था। वे यह समझते थे कि भारत की प्रगति तभी संभव है जब किसान खुशहाल होंगे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और विभिन्न पदों पर कार्य किया:

1. उत्तर प्रदेश में भूमिका

चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (1967-68 और 1970) भी रहे। इस दौरान उन्होंने जमींदारी प्रथा को समाप्त करने और किसानों को उनके अधिकार दिलाने के लिए कई सुधार किए। उन्होंने ‘जमींदारी उन्मूलन अधिनियम’ लागू कर किसानों को उनकी जमीन पर अधिकार दिलाया।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने छोटे और सीमांत किसानों के लिए भूमि सुधारों पर विशेष ध्यान दिया। उनकी नीतियों ने लाखों किसानों को आत्मनिर्भर बनाया और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की।

2. केंद्र सरकार में योगदान

चरण सिंह ने केंद्र सरकार में वित्त मंत्री और गृह मंत्री के रूप में भी कार्य किया। वे 1979 में भारत के प्रधानमंत्री बने। उनके प्रधानमंत्री काल में किसानों की भलाई के लिए कई योजनाएं शुरू की गईं। उनकी नीतियों में कृषि को प्राथमिकता दी गई और ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।

चौधरी चरण सिंह का किसानों के लिए योगदान

चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता है। उनका मानना था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और यदि किसानों को सशक्त किया जाए तो देश समृद्ध हो सकता है। उन्होंने किसानों की भलाई के लिए कई नीतियां बनाईं, जिनमें शामिल हैं:

  1. जमींदारी उन्मूलन: किसानों को जमींदारों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए उन्होंने जमींदारी प्रथा को खत्म किया। उन्होंने किसानों को उनकी जमीनों पर अधिकार दिलाने के लिए साहसिक निर्णय लिए।
  2. कर्ज राहत योजनाएं: उन्होंने किसानों के कर्ज माफ करने और उन्हें राहत देने के लिए कई कदम उठाए। उनकी नीतियों ने गरीब किसानों को साहूकारों के चंगुल से बाहर निकाला।
  3. आधुनिक कृषि: चरण सिंह ने कृषि में नई तकनीकों और साधनों को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया। उन्होंने सिंचाई सुविधाओं और उन्नत बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की।
  4. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था: उन्होंने हमेशा कृषि को प्राथमिकता दी और किसानों की आय बढ़ाने के लिए नीतियां बनाईं। उन्होंने कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की नीति का समर्थन किया।

चौधरी चरण सिंह के विचार

  1. किसान और राष्ट्र: उनका मानना था कि “देश का असली धन किसान हैं। यदि किसान खुशहाल हैं, तो देश अपने आप समृद्ध होगा।” उन्होंने बार-बार यह बात दोहराई कि ग्रामीण भारत की प्रगति के बिना राष्ट्र की प्रगति अधूरी है।
  2. सरल जीवन और सादगी: वे स्वयं सादगी का जीवन जीते थे और दूसरों को भी सादगी और ईमानदारी अपनाने की प्रेरणा देते थे। उनके जीवन का हर पहलू आदर्श और अनुकरणीय था।
  3. कृषि पर निर्भरता: चरण सिंह ने हमेशा कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की वकालत की। उनका कहना था कि उद्योग तभी फल-फूल सकते हैं जब कृषि मजबूत हो। उन्होंने ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने की वकालत की।

किसान दिवस की स्थापना

चौधरी चरण सिंह के योगदान और उनकी किसानों के प्रति निष्ठा को सम्मानित करने के लिए हर साल 23 दिसंबर को उनके जन्मदिन पर राष्ट्रीय किसान दिवस (किसान दिवस) मनाया जाता है। यह दिन किसानों की मेहनत और योगदान को सम्मानित करने का एक प्रतीक है। यह अवसर हमें यह याद दिलाता है कि किसानों की समृद्धि के बिना देश की समृद्धि असंभव है।

चौधरी चरण सिंह का निजी जीवन

चौधरी चरण सिंह का निजी जीवन सादगी और आदर्शों से भरा हुआ था। उन्होंने सरलता और नैतिकता को अपने जीवन का आधार बनाया। उनकी पत्नी गायत्री देवी हमेशा उनके संघर्षों में उनके साथ खड़ी रहीं। उनके बच्चे, खासकर उनके बेटे अजित सिंह, ने भी राजनीति में कदम रखा और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाया। उनके परिवार ने हमेशा सामाजिक न्याय और किसानों के उत्थान के लिए कार्य किया।

निधन

चौधरी चरण सिंह का निधन 29 मई 1987 को हुआ। हालांकि वे शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और आदर्श आज भी हमारे समाज और राजनीति में जीवित हैं। उनकी विरासत आज भी प्रेरणा का स्रोत है और उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

निष्कर्ष

चौधरी चरण सिंह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी किसानों और कृषि के लिए समर्पित कर दी। उनकी नीतियों और सुधारों ने लाखों किसानों के जीवन को बेहतर बनाया। उनका नाम हमेशा भारतीय राजनीति और समाज में सम्मान के साथ लिया जाएगा। उनकी विरासत हमें यह सिखाती है कि सच्चे नेता वही हैं जो समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए काम करते हैं।

उनकी विचारधारा और नीतियों का अनुसरण करते हुए हम एक बेहतर और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकते हैं। चौधरी चरण सिंह के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि!

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