दोस्तों मनुष्य की जिंदगी का Graph कभी भी सीधा (Straight) नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आना निश्चित है, क्योंकि बिना उतार-चढाव या सुख-दुःख के जीवन असंभव है। लेकिन इन बुरे हालात के साथ-साथ हमें अपने आप को बदलना बहुत ही जरुरी है। तभी हम अपनी Life को सही ढंग से Enjoy कर पायेंगे। कभी – कभी जब हम बुरे हालात का सामना कर रहे होते है और परेशान होते हैं तो सोचते हैं कि क्या करें की बुरा समय कट जाय? इतनी जल्दी तो सब कुछ बदलना संभव नहीं होता है, लेकिन हमें मुश्किलों से कभी भी हार नहीं माननी चाहिये और न ही घबराना चाहिये, बल्कि हमें डटकर उनका मुकाबला करना चाहिये। “क्योंकि डर के आगे जीत है।”
दोस्तों कई बार तो हम सफल होने से बस कुछ ही कदम दूर होते हैं, और हम हार मान लेते हैं। जबकि अपनी क्षमताओं पर भरोसा रख कर किया जाने वाला कोई भी बदलाव छोटा नहीं होता और वो हमारी जिन्दगी में एक नीव का पत्थर भी साबित हो सकता है। इसी से सम्बंधित एक कहानी नीचे लिखी गई है, जिसे पढ़कर आप लोगों को समझने में आसानी होगी कि छोटा बदलाव किस कदर महत्वपूर्ण है?
कुछ दिनों पहले की बात है, एक व्यक्ति प्रतिदिन सुबह Morning Walk को जाया करता था। वह रास्ते में अकसर आते-जाते समय एक बूढी महिला को देखता था। जो रोज सुबह तालाब के किनारे छोटे-छोटे कछुओं की पीठ को साफ़ किया करती थी। एक दिन उसको महिला से इसका कारण जानने की इच्छा हुई।
वह व्यक्ति उस बूढी महिला के पास गया और उनका अभिवादन कर बोला – “नमस्ते आंटी ! मैं अकसर आपको इन कछुओं की पीठ को साफ़ करते हुए देखता हूँ आप ऐसा किसलिए करती हो ?” बूढी महिला ने उस व्यक्ति की तरफ देखा और इसके बाद जवाब दिया – “मैं हर रविवार यंहा आती हूँ और इन छोटे-छोटे कछुओं की पीठ साफ़ करके मेरे मन को बहुत सुख और शांति का अनुभव होता है।” क्योंकि इनकी पीठ पर जो कवच होता है उस पर कचरा (Trash) जमा हो जाने की वजह से इनकी गर्मी पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है इसलिए इन कछुओं को तैरने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। अगर यह कचरा ज्यादा समय तक साफ नहीं हो पाता तो इनका कवच भी कमजोर पड़ जाता है, इसलिये मैं इनके कवच को साफ़ करती रहती हूँ।
यह सुनकर वह व्यक्ति बहुत हैरान हुआ। उसने उस बूढ़ी औरत से फिर एक सवाल किया और बोला – “माँ जी, बेशक आप बहुत अच्छा काम कर रहीं हैं, लेकिन फिर भी एक बात सोचिये कि इन जैसे कितने और भी कछुए (Turtles) होंगे जो इनसे भी बुरी हालत में होंगे। आप सभी कछुओं के लिए तो ये नहीं कर सकती हो, तो उन सबका क्या होगा? क्योंकि आपके अकेले के बदलने से तो कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा न ! आप बेकार में ही अपना समय बरबाद कर रहीं हैं।
वृद्ध महिला ने बड़ा ही संक्षिप्त और असरदार (Brief and Effective) जवाब दिया कि भले ही मेरे इस काम से दुनिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा, लेकिन सोचो इस एक कछुए की जिन्दगी में तो बदलाव जरूर आएगा। तो क्यों न हम छोटे बदलाव से ही शुरुआत करें।
दोस्तों आज हमारे देश को ऐसी ही महिला रूपी लोगों की जरुरत है जो आज की युवा पीढ़ी के मन से बुराइयों के कवच को साफ़ करती रहे, और हमारे देश के नौजवानों को सही मार्गदर्शन मिल सके। दोस्तों अगर हर माँ – बाप बचपन से ही अपने बच्चों को सही शिक्षा दें तो निश्चित ही एक दिन बदलाव आएगा और हमारा देश भुखमरी, गरीबी व भ्रष्टाचार से मुक्त होकर फिर से सर्वसम्पन्न और प्रभावशाली राष्ट्र हो जायेगा।