पिता को समर्पित कविता
आप से ही है, जीवन हमारा पिता। आप से क्यूँ, जी मैं चुराता रहा।। कृष्ण की तरह, गोवर्धन आप उठाये रहे। छाँव में मौज उसके, मनाता मैं रहा।। आप थक-थक कर, रोज कमाते रहे। मैं भी मदमस्त सा, बस उड़ाता रहा।। आपकी तकलीफों को, मैं समझ न सका। खांसी से ही मेरी, आप सो न … Read more