मित्रो, पन्त जी की ये पंक्तिया आपने भी पढ़ी होंगी…“प्रकृति का नियम निश्चल, जो जैसा उसको वैसा फल“ शुरू में यह कहा गया है की प्रकृति की उदारता सभी जीवो पर समान रूप से है ये हवा, जल, धरती, आकाश, सूरज, चाँद, नदी पर्वत आदि यानि सम्पूर्ण प्रकृति भेद-भाव रहित है जो सर्वथा सत्य है, बाद की पंक्ति ‘जो जैसा उसको वैसा फल’ यानि…जो जैसा कर्म करेगा उसको वैसा फल प्राप्त होगा, या…जो जैसा करेगा वैसा भरेगा…अनेको लोगो ने इसी उक्ति को अलग-अलग तरीके से लिखे है…
मित्रो मै एक अनुभव आपके साथ बाटना चाहता हूँ…
Short inspirational stories in hindi with moral : मै एक दिन किसी की प्रतीक्षा में खड़ा था कि उसी समय एक कुतिया अपने चार बच्चो के साथ दिखाई दी कुतिया खडी थी बच्चे अपने आहार लिये के दौड़ पड़े उनमे से तिन एक समान दिखाई दे रहे थे, परन्तु एक दुबला व कमजोर था, तीन अपना आहार ले रहे थे पर चौथा मौका ही नही पा रहा था करीब पांच मिनट तक ये ही कर्म चलता रहा कमजोर बार-बार प्रयास कर रहा था लेकिन तीन उसे धक्का देकर किनारे कर दे रहे थे उसे उसका आहार नही मिला, कुतिया कुछ दूर जा कर बैठ गयी तीन आपस में खेलने-कूदने लगे परन्तु चौथा फिर अपनी माँ के पास पहुच गया पुन: एक बार अपने आहार प्राप्त करने का प्रयास किया तो उसकी माँ नाराज होकर उसे धक्का देकर गिरा दी और उठकर चली गयी आवाज सुनकर वे तीन वहा पहुच गये और उस बेचारे को घेर कर काटने लगे वह भाकर कुछ दूर सरकता पीछे से वे तीनो पहुचकर फिर से घेरकर काटने लगते किसी तरह अपने ही लोगो से अपनी जान बचाकर छिपते हुए भाग गया…
उस कमजोर ने ऐसा क्या कर्म किया था जिसका फल उसे मिल रहा था शायद अभी उसकी कर्म गति आरम्भ भी नही हुई थी…
बिल्कुल ठीक यही स्थिति हमारे समाज की है कमजोर को उनका हक नही प्राप्त हो सकता है उनके हक को बलशाली लोग दबाये बैठे रहते है, कमजोरी अभिशाप है कमजोर लोगों की इज्जत भी नही बचती है उनके सामने ही उनके बच्चो को गालिया देकर बुलाया जाता है उनकी बहू- बेटी या तो समाज की भ्रष्टता स्वीकार करे या जीवन छोड़ने का विकल्प तो मौजूद ही रहता है सबकुछ ऐसे ब्यक्तियो की जानकारी में रहता है परन्तु वह बेबस व लचर बना रहता है विरले में ही प्रतिकार करने का साहस होता है…
अब बात करते है इस ब्वस्था की एक बार किसी तरह से शिकायत लेकर पहुच भी जाता है सक्षम अधिकारियो के पास तो भी कोई कार्यवाही नही होती है जिससे अन्याय करने वालो का साहस दिन दूना रत चौगुना बढ़ जाता है कानून का डर भय समाप्त हो जाता है और कमजोर के साथ जो किया जा रहा है उसको दुगुने वेग के साथ अन्याय किया जाता है, ये आपका शभ्य समाज मूकदर्शी बना रहता है, और कानून या ब्यवस्था के पास कमजोर अपनी अर्जी लेकर एक बार से दो बार कभी-कभी बार-बार जाता है तो तो कानून या ब्यवस्था को पालन कराने वाले अधिकारी /कर्मचारी उसी कमजोर की माँ जैसे ब्यवहार करते है झिडकी, गालियोँ से उसका स्वागत करते है सीधे मुह बात तक नही करते है काटने के लिये दौड़ते है…
मित्रो यहाँ कानून /ब्यवस्था आदमी के हैसियत के अनुसार काम करता है, कानून सिर्फ कमजोर लोगो के लिये है, शक्तिशाली लोगो का रखैल बन के रह गया है ये कानून/ब्यवस्था…
स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है कि…“शक्ति जीवन है, कमजोरी मृत्यु के समान है”…मित्रो शक्तिशाली बनो, बलशाली बनो…
स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन in Hindi
मित्रो, मेरा आशय किसी की भावना को ठेस पहुचाना कदापि नही है यदि कोई आहत हुआ है उसके लिये क्षमा चाहता हूँ…धन्यवाद!
अतुल सिंह ‘मोगरा’
ग्राम-नराईचपार, पो०-नेवास, थाना-उरुवा
तह० खजनी, जिला-गोरखपुर, उ० प्र०, पिन कोड न० 273407
मो० न० 09935513623, 07376647060
यदि आपके पास स्वलिखित कोई अच्छे लेख, कविता, News, Inspirational Story, या अन्य जानकारी लोगों से शेयर करना चाहते है तो आप हमें “sochapki.@gmail.com” पर ईमेल कर सकते हैं। अगर आपका लेख हमें अच्छा लगा तो हम उसे आपकी दी हुई details के साथ Publish करेंगे।
धन्यवाद!