बहुत गुस्ताखियाँ कर दीं, वक्त तूने हमारे साथ।
बड़ा क्यूँ कर दिया इतना, जहाँ तू ही नहीं है हमारे पास।।
कभी सोचा नहीं था, दर्द इतना है इन खुशियों में।
नहीं तो माँगते न हम कभी इनको दुआओं में।।
कभी हम बारिश के पानी में, अपनी नाव चला देते।
रख के ऊँगली को हथेली पे, सारी दुनियाँ उड़ा देते।।
कभी खेलते थे हम, बादलों के अनेकों रूप से।
अभी तो आसमां के रंग को भी, हम गए हैं भूल से।।
कभी हम दोस्तों को पीटकर, कुछ पल में मना लेते।
अँगूठे को अँगूठे से मिलाकर, दोस्त हम फिर से बना लेते।।
Best Hindi Poem on Bachpan Ki Yaadein
कभी उसके घर से झगड़े को, दोस्ती में नहीं देखा।
अभी तो दोस्त कुछ दिन में ही, कर देते हैं अनदेखा।।
मुखौटे हैं सभी के शक्ल पे, कैसे पहचानें मुश्किल है।
खुद्दारी है सभी के जहन में, फिर दोस्ती के कौन काबिल है।।
कभी हम खेलते – खाते, और मस्ती में ही रहा करते।
अभी हम कुछ नहीं करते, बिना उसमें नफा रहते।।
चलो हम खुद से ही पूँछें, क्या खुद को जानते हैं हम।
चलो चर्चा करें खुद से, क्यूँ खुशियाँ हो गईं हैं कम।।
बचपन से जवानी के, बदलते इस सफर में हम।
सब कुछ पा के भी, सब के बिना अब हो गए हैं हम।।
By – कुलदीप सिंह
bohott badhiyan kavita..