हमारे देश को अगर हम पर्व और त्यौहारों का देश कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा पर्व भारत में ही मनाये जाते हैं। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वोत्तम संस्कृति है। विश्व के बहुत सारे देशों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को अपनाया है। हमारे देश में अनेकों देवी-देवताओं, संत-महात्मा, व ऋषि-मुनियों ने अवतार लिये हैं जिनके पावन कर्मों से हमारे देश का नाम संपूर्ण विश्व में आदर के साथ लिया जाता है। वैसे तो हिन्दू धर्म में अनेकों देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन नवरात्रि उन सब में महत्वपूर्ण और सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला पर्व है।
नवरात्रि या नवदुर्गा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है “नौ रातें।” इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ, अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों – महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुःखों को हटाने वाली होता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे भारत में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है।
कहते है जो भक्त तन-मन और श्रद्धा के साथ नवदुर्गा व्रत और पूजा करते हैं माता उन्हें मनचाहा वरदान देती हैं और उसके सारे दुःखों का नाश करती हैं। नौ देवियों के नौ रूपों के नाम नीचे दिये गये हैं जिनकी पूजा नवरात्रि में की जाती है :-
- शैलपुत्री – पहाड़ों की पुत्री
- ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारीणी
- चंद्रघंटा – चाँद की तरह चमकने वाली
- कूष्माण्डा – पूरा जगत उनके पैर में है
- स्कंदमाता – कार्तिक स्वामी की माता
- कात्यायनी – कात्यायन आश्रम में जन्मि
- कालरात्रि – काल का नाश करने वली
- महागौरी – सफेद रंग वाली मां
- सिद्धिदात्री – सर्व सिद्धि देने वाली
शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की थी। तब से असत्य व अधर्म पर सत्य और धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।
नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती है। गुजरात में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में मनाया जाता है। यह पूरी रात भर चलता है। डांडिया का अनुभव बडा ही असाधारण है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, आरती से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद। पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है। इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता है।
नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है। त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं।