दोस्तों इस संसार में मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसकी इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती है। उसे कितना भी मिल जाये फिर भी वह उसके लिए कम ही होता है। वह अपनी हर नाकामी का ठीकरा भगवान पर फोड़ता है। अक्सर इंसान को भगवान से शिकायत होती है कि वह उसके साथ हमेशा बुरा ही करता है। मानव की प्रवृत्ति ही ऐसी होती है कि वह बुरे को देख कर हमेशा याद करता है, लेकिन उसके पीछे छुपी अच्छाई को वह नहीं देख पाता और हमेशा अपनी किस्मत को कोसता रहता है। लेकिन नियति के हर फैसले के पीछे कुछ न कुछ अच्छा छुपा हुआ जरूर होता है।
ऐसी ही एक कहानी आपके समक्ष रख रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आप सब को पसंद आयेगी। बहुत समय पहले की बात है एक राजा के मंत्री भगवान के बहुत बड़े भक्त थे, किसी भी बात पर वो यही कहते भगवान जो करेंगे अच्छा करेगें। एक दिन राजा का बेटा मर गया मंत्री को जब पता चला तो उसने कहा प्रभु भला करेंगें। राजा को यह बात सुनकर बहुत बुरा लगा, लेकिन उसने मंत्री को कुछ नहीं कहा। कुछ दिनों के बाद राजा की रानी की मृत्यू हो गई मंत्री ने फिर कहा भगवान भला करेंगें। राजा फिर चुप रहा उसने मंत्री को कुछ नहीं कहा।
राजा एक दिन अपनी तलवार की धार को उंगली से देख रहा था और धोखे से उसकी उंगली कट गई। मंत्री ने फिर वही वाक्य दोहराया राजा को इस बार बहुत गुस्सा आया और उसने मंत्री को देश से बाहर निकाल दिया। मंत्रीजी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें और कहाँ जाये। अब वह जंगल की ओर की चल दिये। एक दिन राजा जंगल में शिकार खेलने गया वहां वह जंगल में डाकुओं के बीच फंस गया। उस समय वहां काली उपासना का पर्व मनाया जा रहा था और इस पर्व पर काली मां को नर बलि चढाने की प्रथा थी।
अब बलि के लिए जंगल में कुछ नहीं मिल रहा था कि अचानक उनकी नजर राजा पे पड़ी। अब डाकुओं ने राजा को पकड़कर उन्हें बंदी बना लिया और सोचा की राजा की ही बलि क्यों न चढा दी जाए। बलि चढ़ाते समय पुरोहित ने पूछा कि तुम्हारे परिवार में कौन-कौन है राजा ने कहा कोई नहीं। तभी पुरोहित ने देखा कि राजा की उँगुली कटी है, उन्होंने तुरन्त मना किया कि इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती क्योंकि एक तो इसके परिवार में कोई नहीं है और इसका अंग भी भंग है। राजा वहां से वापस महल में गया और सोचने लगा कि मंत्री ठीक कहता था कि जो होता है अच्छे के लिए होता है।
राजा ने तुरंत अपने सिपाहियों को आदेश दिया कि मंत्री को जल्दी से जल्दी ढूँढ़कर सम्मान के साथ महल में वापस लाओ। सिपाही मंत्री को ढूँढ़कर लाते हैं और राजा ने मंत्री से माफ़ी माँगी और सम्मान के साथ महल में ले गए।
दोस्तों यदि आज आपके साथ कुछ बुरा हुआ है तो उससे घबराना नहीं चाहिये और लगातार अपना काम पूरी ईमानदारी और मेहनत से करना चाहिये। आने वाला कल आपके लिए जरूर कुछ अच्छा ही होगा। इसलिए जो होता है अच्छे के लिये होता है।
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धन्यवाद!
jindagi ki sabse badi galti ho jaye tab@kya woh bi atcha hi hota hai