योग क्या है? (What is Yoga in Hindi)
इस दुनिया में योग कोई नई चीज नहीं है। इसका ज़िक्र हज़ारों साल पहले से वेदों और पुराणों में भी होता रहा है। पुराने समय में ऋषियों और मुनियों के जीवन का आधार ही योग हुआ करता था। योग की मदद से वो ना सिर्फ़ खुद को स्वस्थ रख पाते थे बल्कि विभिन्न रोगों से भी दूर रहते थे।
वास्तव में योग एक प्रकार का शारीरिक व्यायाम है जिससे शरीर मे रक्त का संचार बेहतर होने के साथ ही शरीर के विभिन्न अंगो के नसों की भी स्थिति सुधरती है। योग करते समय हम शरीर को अलग-अलग स्थिति में ले जाते हैं, इससे शरीर के विभिन्न अंगो में रक्त का संचार बेहतर बनता है। जिससे ना सिर्फ़ शरीर की मांसपेशियों को राहत मिलती है बल्कि आन्तरिक मन मे भी शांति का अनुभव होता है।
योग को अक्सर लोग धर्म से जोड़कर देखते हैं लेकिन योग किसी धर्म की विरासत नहीं है। बल्कि ये प्रकृति और विज्ञान का उपहार है। योग की मदद से ना सिर्फ़ आप खुद को निरोग रख सकते हैं बल्कि इसकी मदद से हमारा मन भी प्रसन्न रहता है।
वास्तव में योग हमारे मन और भावनाओं को संतुलित करने का एक साधन है। योग की मदद से पहले हमारे शरीर के बाहरी अंग सन्तुलित होते हैं इसके बाद इसका असर शरीर के भीतरी अंगों पर भी पड़ता है।
प्राचीन समय में लोग योग के महत्व को समझते थे इसीलिए इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते थे। आज के समय मे लोगों को योग की ताक़त के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं पता है। हालांकि अब धीरे -धीरे लोगों का रुझान इस तऱफ बढ़ता हुआ देखा जा सकता है। आज के व्यस्त जीवन और भागदौड़ वाली लाइफ में किसी के लिए भी स्वस्थ रहना काफ़ी मुश्किल काम है। ऐसे में योग की मदद से आप ख़ुद को ना सिर्फ़ सन्तुलित रख सकते हैं बल्कि ख़ुद को निरोग रखने के साथ ही एकदम फिट भी रख सकते हैं।

योग का इतिहास (History of Yoga in Hindi)
अगर बात की जाए योग के इतिहास की तो इसकी शुरुआत कब हुई इसके बारे में कोई एक मत नहीं है। बहुत से लोगों का मानना है की जब से मानव सभ्यता की शुरुआत हुई है तभी से योग किया जाता रहा है।
वैसे योग के प्रमाण 2700 ईसा पूर्व ही मिले हैं। वहीं योग के लिहाज़ से सबसे बेहतर समय 500-800 ईसा पूर्व का समय माना जाता है। 800-1700 ईसा पूर्व में आदि शंकराचार्य, रामानुजाचार्य आदि संतो ने भी योग की उपयोगिता के बारे में बताया है।
वहीं आधुनिक समय मे स्वामी विवेकानंद, महर्षि महेश योगी, श्री योगेंद्र जैसे महापुरुषों ने भी दुनियाँ में योग को प्रसारित करने का काम किया है।
योग की शुरुआत भारत और नेपाल जैसे देशों में ही हुई थी। यहीं से योग सम्पूर्ण विश्व में पहुँचा है। योग को दुनियाँ में लाने का काम सनातन धर्म के लोगों के द्वारा ही किया गया है। लेकिन आज के समय में सभी धर्मों के लोग योग को अपना रहे हैं। योग आज दुनियाँ के कोने-कोने में पहुँच चुका है।
भले ही योग की शुरुआत सनातन धर्म के द्वारा हुयी है। लेकिन आज के समय में ये दुनिया के हर कोने में और हर धर्म के लोगों द्वारा आज़माया जा रहा है। योग की मदद से आज करोड़ों लोग ख़ुद को स्वस्थ बनाने में सफ़ल हो रहे हैं।

योग के प्रकार (Types of Yoga in Hindi)
योग के आसनों को मुख्यतः 6 भागों में बाँटा गया है। जो कि अलग-अलग रोगों और समस्याओं से बचाव के लिए किए जाते हैं।
1. प्रकृति आसन- ये वो आसन है जो कि प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे कि वनस्पति, वृक्ष आदि के आकार से प्रभावित होकर बनाये गए हैं।
इन आसनों के नाम इस प्रकार हैं:-
वृक्षासन, पद्मासन, लतासन, ताड़ासन, पद्म पर्वतासन, मंडूकासन, अनंतासन, चंद्रासन, अर्ध चंद्रासन, तलाबसन आदि।
2. अंग मुद्रावत आसन- इस तरह के आसन शरीर के विभिन्न अंगों के आकार द्वारा प्रभावित होकर बनाये गए हैं।
ये आसन है-
1. सर्वांगासन, 2. मेरुदंडासन, 3. एकपादग्रीवासन, 4. पाद, 5. अँगुष्ठासन, 6. उत्थिष्ठ हस्तपादांगुष्ठासन, 7. सुप्त पादअँगुष्ठासन, 8. कटिचक्रासन, 9. द्विपाद विपरित दंडासन, 10. शीर्षासन, 11. सर्वांगासन, 12. पादहस्तासन या उत्तानासन, 13. अर्ध पादहस्तासन, 14. विपरीतकर्णी सर्वांगासन, 15. सलंब, 16. जानुसिरासन, 17. जानुहस्तासन, 18. परिवृत्त जानुसिरासन, 19. पार्श्वोत्तानासन, 20. कर्णपीड़ासन, 21. बालासन या गर्भासन, 22. आनंद बालासन, 23. मलासन, 24. प्राण मुक्तासन
3. वस्तुवत आसन- योग में कुछ आसान ऐसे भी है जो कि विभिन्न वस्तुओं के आकार से प्रभावित होकर बनाए गए हैं। ऐसे आसनों को वस्तुवत आसन के नाम से जाना जाता है।
वस्तुवत आसन है-
1. धनुरासन, 2. हलासन, 3. आकर्ण अर्ध धनुरासन, 4. चक्रासन, 5. वज्रासन, 6. नौकासन, 7. विपरीत नौकासन, 8. दंडासन, 9. तोलासन, 10. शिलासन, 11. सुप्त वज्रासन
4. पशुवत आसन- योग में बहुत आसन ऐसे भी है जो कि पशु-पक्षियों के उठने बैठने और उनके चलने फ़िरने के तरीकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। ऐसे आसनों को पशुवत आसन कहते हैं। पशुवत आसन में निम्न आसन आते हैं-
1. भुजंगासन, 2. मयूरासन, 3. सिंहासन, 4. शलभासन, 5. मत्स्यासन, 6. बकासन, 7. मार्जरासन, 8. चातक आसन, 9. गौमुखासन, 10. गरुणासन, 11. राजकपोतासन, 12. भद्रासन, 13. क्रोंचासन, 14. शशांकासन, 15. कुर्मासन
5. योगीनाम आसन- ये योगासन हिन्दू धर्म के भगवान के नाम पर रखे गए हैं।
योगीनाम आसन के अंतर्गत आने वाले आसन है-
1. ध्रुवासन, 2. हनुमानासन, 3. मत्स्येन्द्रासन, 4. भैरवासन, 5. नटराजासन, 6. अंजनेयासन, 7. वीरासन, 8. वीरभद्रासन, 9. गोरखासन, 10. अर्धमत्स्येन्द्रासन, 11. वशिष्ठासन, 12. भरद्वाजासन
6. अन्य आसन- इनके नाम इस प्रकार से हैं-
1. पासासन, 2. कोणासन, 3. उपविष्ठ कोणासन, 4. योगमुद्रा, 5. वक्रासन, 6. वतायनासन, 7. पवनमुक्तासन, 8. चमत्कारसन, 9. त्रिकोणासन, 10. सुखासन, 11. वीरासन, 12. सेतुबंध आसन

योग करने का सही समय (Best Time to Practice Yoga in Hindi)
अगर बात की जाए योग करने के सही समय की तो इसके लिए सुबह का समय सबसे बेहतर माना गया है। सुबह के समय सूर्योदय के 1 या 2 घण्टे पहले का समय योग के लिए बेहतर होता है। वहीं अगर आप दिन में कोई एक निश्चित समय योग के लिए निर्धारित कर दें तो ये आपके लिए काफ़ी अच्छा होता है।
इसके साथ ही योग करते समय इसके पूर्ण लाभ के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। जैसे कि-
1. योग खाली पेट करना चाहिए।
2. स्नान करने के बाद ही योग करें।
3. सूर्योदय के साथ ही सूर्यास्त के समय भी योग कर सकते हैं।
4. योग करते समय आरामदायक सूती कपड़े पहनें।
5. शांत वातावरण और खुले जग़ह पर ही योग करना चाहिए।
6. योग किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
7. योग करने के बाद कम से कम 30 मिनट तक कुछ भी ना खायें।
8. अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही योग करें।
9. निरन्तर योग करने से ही इसके फ़ायदे का अनुभव होगा।
योग करने के फ़ायदे (Benefits of Yoga)
योग से हमारे जीवन मे काफ़ी कुछ बदलाव आ सकता है। इससे ना सिर्फ़ मानसिक शांति का अनुभव होता है। इसके अलावा भी योग करने के बहुत से फ़ायदे होते हैं। जैसे कि-
1. इससे हमारा मेटाबॉलिज्म नियंत्रण में रहता है।
2. बॉडी में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है।
3. श्वसन क्रिया अच्छी होती है।
4. सुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।
5. नर्वस सिस्टम कंट्रोल में रहता है।
6. मानसिक तनाव से राहत मिलती है।
7. सोचने समझने की शक्ति बढ़ती है।
8. याददाश्त तेज़ होती है।
9. मन शांत रहता है।
10. मांसपेशियाँ मज़बूत होती है।
11. वज़न नियन्त्रित रहता है।
12. एकाग्रता बढ़ती है।
13. व्यक्ति के काम करने की क्षमता बढ़ती है।
14. विभिन्न घातक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
15. बॉडी फ्लेक्सिबल बनती है।
आज के व्यस्त जनजीवन में किसी के लिए भी खुद को पूरी तरह से स्वस्थ रखना काफी मुश्किल काम है। लेकिन योग में वो ताक़त है, जिससे कि आप ख़ुद को सदैव स्वस्थ रख सकते हैं। योग हर उम्र और हर वर्ग के लोगो के लिए प्रभावी है। इसका हमारे शरीर के हर अंग पर एक ख़ास प्रभाव पड़ता है। कहा भी गया है- “करें योग रहें निरोग”
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019
इसलिए अगर आप ख़ुद को स्वस्थ रखना चाहते हैं और एक खुशहाल लाइफ की चाहत रखते हैं तो आपको योग जरूर अपनाना चाहिए। पहले दिन से ही आप इसके लाभ का अनुभव करने लगेंगे।