गाँधीजी अफ्रीका के सत्याग्रह में सफलता प्राप्त कर हिन्दुस्तान लौट आये थे। वे अपने गुरू श्री गोखले के कथनानुसार समूचे देश में घूम रहे थे। भ्रमण के दौरान बिहार के कुछ लोग उनसे मिले। बिहार के चम्पारन में गोरे जमींदारों ने भारी जुल्म मचा रखा था। बिहार के कुछ लोग जो गांधीजी से मिले, उन लोगों ने गाँधीजी से निवेदन किया – “गाँधी जी आप आइये और हमें रास्ता दिखाइये।”
गाँधी जी बोले- “मैं जरूर आऊंगा, लेकिन आप लोगों को मेरी बात माननी होगी।”
उन्होंने स्वीकार किया – “जैसा आप कहेंगे, हम वैसा ही करेंगे।”
गाँधीजी ने आगे पूछा – “क्या आप लोग जेल जाने की तैयारी रखेंगे?”
उन लोगों ने कहा – “जी हाँ !”
गाँधी जी कुछ दिनों बाद चम्पारण के सत्याग्रह के लिए चल पड़े। श्री राजेंद्र बाबू वगैरह बिहार के सत्याग्रही लोग पहली बार गांधीजी से मिले। किसानों का काम तो शुरु हुआ, लेकिन गाँधीजी को सारी जनता के अन्दर चेतना जगानी थी।
कई साथी स्वयंसेवकों से उन्होंने कहा कि – “आप लोग गाँवों में जायें और किसानों के बच्चों के लिये स्कूल चलायें।”
महात्मा गाँधी की पत्नी कस्तूरबा भी चम्पारण गईं थीं। एक दिन गाँधी जी ने उनसे कहा – “तुम क्यों कोई स्कूल शुरू नहीं करती हो ? किसानों के बच्चों के पास जाओ और उन्हें पढ़ाओ।”
कस्तूरबा बोलीं – “मैं क्या सिखाऊँ ? उन्हें क्या मैं गुजराती सिखाऊँ ? अभी मुझे बिहार की हिंदी आती भी तो नहीं!”
गाँधी जी बोले – “बात यह नहीं है। बच्चों का प्राथमिक शिक्षण तो सफाई का है। किसानों के बच्चों को इकट्ठा करो। उनके दाँत देखो। ऑंखें देखो। उन्हें नहलाओ। इस तरह उन्हें सफाई का पहला पाठ तो सिखा सकोगी। माँ के लिए ये सब करना कठिन थोड़े ही है। यह सब करते – करते उनके साथ बात करोगी तो वो भी तुमसे बोलेंगे। और उनकी भाषा तुम्हारी समझ में आने लगेगी और आगे चलकर तुम उन्हें ज्ञान भी दे सकोगी। लेकिन सफाई का शिक्षण तो कल से ही उन्हें देना शुरू करो।”
कस्तूरबा अगले दिन से वही करने लगीं, और वह बच्चोँ की सेवा में असीम आनन्द लूटने लगीं।
Biography of Mahatma Gandhi in Hindi
दोस्तों गाँधी जी सफाई को ज्ञान का प्रारम्भ मानते थे। अतः हमें भी उनके आदर्शों पर चलकर स्वच्छ भारत मिशन या Swachh Bharat Abhiyan में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए और अपने घर तथा आस-पास कभी भी गन्दगी नहीं रखनी चाहिए।
द्वारा:-
विजय बहादुर यादव (स0 अ0)
श्री सी0 बी0 गुप्त इण्टर कालेज
महरौनी, ललितपुर (उ0 प्र0)